सुखी जिनगी जिये के मंत्र
सुखी जिनगी जिये के मंत्र
चीनी बिना मलाई नाही
दूध जइसन दवाई नाही
तेल से जे करेला मालिश
बीमारी ओके सताये नाही
उठक बइठक जे के आये
मेहनत हर दम जेके भाये
टेंसन के जे हरदम टरकाये
ओके नाही भय सताये
हरिहर साग, हरिहर सब्जी
नाहि मांस, बिना मर्जी
उल्टा पुल्टा जे भी खाये
बिन समय उ बैध बोलाये
खाली पेट जे पियेला पानी
समय से सुते समय के जानी
नाही करे जे देह से छेड़ खानी
उहे बाटे राजा अउर उहे बिया रानी

कवि – उदय शंकर “प्रसाद”
पूर्व सहायक प्रोफेसर (फ्रेंच विभाग), तमिलनाडु